नीमच पुलिस कल फ़ूल कॉन्फ़िडेंट थी भिया... पुलिस पहले तो आरोपी अंकित ऐरन को खुद गिरफ्तार नहीं कर पा रही थी, और जब वो सरेंडर करने कोर्ट आ गया तो फिर उसे घर जाने की इजाजत दे दी। भई, उसने भी तो एहसान किया है सरेंडर होकर ! तो पुलिस ने भी एहसान का बदला एहसान से चुका दिया. जा अंकित, जी ले अपनी जिंदगी!! खैर, पुलिस ने अपना (हमारा) टॉलरेंस लेवल बहुत बढ़ा दिया है। अब सब कुछ सहन हो जाता है।
अंकित ऐरन पर रासुका लगाई गई है... खाद्य विभाग की टीम ने उसकी फ़ैक्ट्री पर छापामार कार्यवाही में 'गुणकारी' हल्दी और लाल मिर्च में रंग मिलाते हुए उसे रंगे हाथों पकड़ा था। हल्दी मतलब, आप और हम नाक बंद कर के कभी-कभी इसलिये गटक लेते हैं कि इससे शरीर का 'ज़हर' खत्म होता है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानेे के गुण हैं, ये शरीर को डीटॉक्स करती है... लेकिन आपको 'मिर्ची' लगेगी यह जान कर कि अंकित उस प्राणदायी हल्दी में 'ज़हर' मिला रहा था... ज़हर याने भाव बढ़ानेे का रंग। रंग का ब्रांड 'महाकाल'. महाकाल नाम से ऐसा रंग बनाया जा रहा है, क्या इससे आपकी धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होतींं! मेरी तो होती हैं।
अंकित की 'हल्दी' हो चुकी है, शादी शुदा है। उसकी शादी में उसी की फ़ैक्ट्री की हल्दी आई होगी! आप भी गए होंगे भोजन करने! अंकित उस ग्रुप को बिलॉन्ग करता है, जो हर वर्ष शहर के एक चौराहे पर विशाल गणपति की प्रतिमा स्थापित करता है. मिलावट खोरी/ज़हरख़्वानी से पैसे कमाना और फिर 'गणपति' में चंदा देना, ज़हर बेच कर गणपति मनाना! ये कैसी परिपाटी! ऐसा गणपति उत्सव किस को चाहिए भैय्या? वहां प्रसाद में धनिया भी मिलता है कभी-कभी, वह भी तो 'रंग' रहे हैं लोग।
आज अंकित का फ़ेसबुक देखा। भरी-पूरी फ़्रेंड लिस्ट है। अंकित के कपड़े कलरफ़ुल... गहरा रंग पसंद है। इसीलिये हल्दी-मिर्ची में भी रंग मिलाता है दिखे। गले में छोटे-छोटे रुद्राक्ष की माला। हालांकि रुद्राक्ष असली नहीं होंगे, क्योंकि उसे तो मिलावट पसंद है या यूं कह लो कि शायद इन्हीं लोगों की 'हैसियत' होती है असली रुद्राक्ष पहनने की या इन्हे भी कोई असली के नाम पर नकली टीका गया होगा। फोटो देखिये उसके... ग्रूप फ़ोटोज़ मित्रों के साथ...क्या बॉन्डींग है...! एक जैसे कपड़े। इन सभी मित्रों के यहाँ यही हल्दी-मिर्ची सप्लाई होती होगी, 'पौष्टिक' वाली!! अंकित के बच्चे, उसके मित्रों के बच्चे भी स्कूल जाते होंगे। 'क्वालिटी' एजुकेशन इन सभी की डिमांड होगी। अंकित के मित्र बच्चों की एजुकेशन में क्वालिटी खोज रहे हैं। अच्छी परवरिश, शुद्ध हवा, शुद्ध वातावरण खोज रहे हैं वो बच्चों के लिये और अंकित क्या कर रहा है!! अपने मित्रों के बच्चों के स्कूल टिफ़िन में 'ज़हर' मिला रहा!!
हम ऐसे लोगों को पदवियाँ क्यों नहीं देते, जो भी ऐसा काम करते हैं! जब दिल्ली में केजरीवाल पहली बार मुख्यमंत्री बनें तो यहाँ विज्ञापन छपवाये गए - "अग्रवाल समाज के गौरव - केजरीवाल"। जब किसी भी समाज का कोई व्यक्ति अपराध करता है तो उस व्यक्ति विशेष के लिये ऐसे बैनर भी लगने चाहिए, जैसे अग्रवाल समाज पर 'कलंक' या अला-फ़लां समाज पर कलंक...गलती से कोई अपराध एक बार होता है तो उसे गलती माना जा सकता है। गलती फिर भी क्षमा योग्य है। मगर जब बार-बार या जानकर ऐसा कोई कृत्य किया जाए जिससे किसी अन्य का अहित हो सकता हो तो वह गलती नहीं अपराध है। ऐसे लोगों के मित्रों को, परिवार को, समाज को आगे आना चाहिए और तिरस्कृत करते हुए यह समझाईश दी जानी चाहिए कि इस तरह के अपराध से दूर होने पर ही हम तुम्हारे साथ हैं अन्यथा नहीं।
मुनाफ़ा कमाने, पैसा कमाने का ऐसा 'एडिक्शन', ऐसा नशा किस काम का कि अपनों की ही जान के दुश्मन बन जाएं! व्यापारी संघ जब निर्दोष व्यापारियों पर होने वाली गलत कार्यवाहियों पर व्यापारीयों के साथ खडा रहता है, तब दोषि व्यापारीयों पर की जाने वाली सही कार्यवाहियों पर उसे ऐसी व्यवस्था करना चाहिए कि मिलावटियों के परिवार की सात पुश्तें भी व्यापार ना कर सकें.
~ कपिलसिंह चौहान