30 July 2010

स्वयंवर..!!

                "राहुल दुल्हनिया ले जायेंगे" इस तथाकथित स्वयंवर प्रसारण की घोषणा होते ही मैंने इसके विरोध का तरीका सोच लिया था. मैंने फैसला किया कि विरोध प्रदर्शन के लिए मैं इस विवाह की कोई रस्म टीवी पर नहीं देखूँगा.
                  "डिम्पी" यानि महाजन परिवार की बहू के आधी रात को घर छोड देने की खबर सुनते ही मुझे अपने विरोध प्रदर्शन के फैसले पर खुशी और तरीके पर मलाल हुआ. मलाल इसलिए कि मैंने उस वक्त विरोध को यदि सिर्फ अपने तक ही सीमित ना रखा होता और किसी सार्वजनिक मंच से लोगों  को शामिल करके व्यापक प्रदर्शन किया होता तो शायद आज इस देश की एक  और 'नादान' बेटी को यह दिन या रात ना देखना पड़ता. 
                खैर, मेरे जैसे किसी मरदूद को कोई सार्वजनिक मंच पर खड़ा हो कर अपनी बात कहने का मौका कैसे दे सकता है! मंच पर खड़ा होने का अधिकार तो सिर्फ सेलिब्रिटीज  की "कौम" को है और सेलिब्रिटीज की परिभाषा तो समाचार और मनोरंजन चेनल्स ने अपने व्यावसायिक हितों और मांगों के लिहाज से गढ़ रखी है. मैं अपने आप को महान ज्योतिश नहीं साबित करना चाहता,क्योंकि इस बात की शंका तो भारत के "जन गन  मन " सभी को थी, कि श्री राहुल महाजन के स्वयंवर के बाद उनकी नई पत्नी के साथ साथ क्या क्या दुर्घटनाएं हो सकती हैं.
                 दरअसल कांसेप्ट्स और विचारों से कंगाल एक टीवी चैनल ने भारतीय संस्कृति के सबसे बड़े सामाजिक संस्कार का सार्वजनिक रूप से मखौल उड़ाने की ठानी और विवाह को शो में बदल दिया.ऐसी साज सज्जा, ऐसी चकाचौंध, इनामों की ऐसी बरसात, कि यदि "राहुल" या "राखी" के बजाये किसी बन्दर का स्वयंवर रचा दें तो लोग उससे भी विवाह करने पहुंच जाएँ!! अब यदि ये सिर्फ शो है तो मेरे ख़याल से किसी भी हिन्दुस्तानी को "डिम्पी" और बिचारे "इलेश" से कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए. पर ऐसा हो नहीं सकता!!!
               सवाल ये हैं कि "स्वयंवर" में भाग लेने वाले उमीदवारों के माता- पिता क्या इसके परिणामों से आशन्कित नहीं थे? एक ड्रग एडिक्ट, अपनी पूर्व पत्नी को अक्सर पीटने वाले, निहायत ही वाह्यात और मनोरोगी से कोई कैसे अपनी बेटी की शादी कर सकता है? क्या इस शो के प्रचारकर्म, दर्शक संख्या या चका चौंध ने उनकी भी आँखों पर पट्टी बांध दी थी ? 
              हज़ारो की दर्शक संख्या के चलते क्या उन माता- पीता ने ये मान लिया कि दर्शकों ने इस शो को सिर्फ वर- वधु को आशीर्वाद देने या उनके सफल दांपत्य जीवन की कामना करते हुए ही देखा होगा? आधे से ज्यादा आबादी दूसरो के घरों  में आग लगने पर पानी छिड़कने के बजाये ताली बजाना ज्यादा पसंद करती है.
              खैर "डिम्पी" के घर छोड़ने की खबरों से स्वयंवर रचाने वाले टीवी चैनल वालों को ज़रूर खुशी हुई होगी, क्योंकि उनके लिए तो "पिक्चर अब शुरू हुई है मेरे दोस्त!".